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४ : गृहस्थ जीवन का उपक्रम
जम्बूकुमार अत्यन्त सम्पन्न परिवार के तो थे ही ! ऐश्वर्य उनके चरणो का दास था और सुख-सुविधाये उनके समक्ष नतमस्तक खड़ी आदेश की प्रतीक्षा में रहा करती थी। पिता का सुनाम भी उनके व्यक्तित्व की भव्यता को किसी अंश तक अभिवर्धित ही करता था। अनुपम सौन्दर्यसम्पन्न जम्बूकुमार जब यौवन की सीमा के समीप पहुंचने लगे तो अनेक रूप-गुणवती कन्याओ के पिता लालायित रहने लगे-अपनी कन्या का सम्बन्ध जम्बूकुमार के साथ करने को । ऋषभदत्त की भव्य सामाजिक प्रतिष्ठा, जम्बूकुमार की महान सद्गुणशीलता आदि के कारण उनके मन में एक विशेष प्रकार का सकोच भी घर कर जाता था और प्रस्ताव करने में उन्हे हिचक-सी अनुभव होने लगती थी।
जम्बूकुमार अपने पूर्वभव मे ब्रह्मलोक मे जव विद्युन्माली देव थे तो उनको चार पलियाँ थी। कुछ समय के पश्चात इन चारो देवियो का जन्म भी राजगृह के ही सम्पन्न श्रेष्ठि परिवारो मे हुआ। एक देवी ने श्रेष्ठि समुद्रप्रिय के घर जन्म लिया और उसका नाम रखा गया समुद्रश्री । कन्या समुद्रश्री की माता का नाम पद्मावती था। दूसरी देवी का इस जन्म का नाम पद्मश्री था उसके पिता तथा माता का नाम (क्रमश) समुद्रदत्त और