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________________ १७० नम्र आवेदन किया । उनके आवेदन का आधार यह था कि सुधरो तेरापथ के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पृष्ठ है । वह यही भूमि है जहा प्राचार्य भिक्षु ने स्थानकवासी समाज से अभिनिष्क्रमण कर तेरापथ की ओर अभिक्रमण किया था। उसी स्मृति को सजीव बनाने के लिए उनका निवेदन था कि द्विशताब्दी समारोह का कोई एक अग यहा भी आयोजित होना चाहिए। इसके साथ-साथ प्राचार्य भिक्षु का जन्म स्थान कटालिया तथा निर्वाण स्थान सिरियारी भी सुधरी के विल्कुल पास ही है । अत. उस ऐतिहासिक स्थल को अपना महत्व भाग मिलना चाहिए। पर चूकि द्विशताब्दी का प्रारभ सवत् २०१७ की आषाढ पूर्णिमा से होने वाला है। तव सुधरी इस कार्यक्रम के अन्तर्गत कैसे आ सकती है यह एक प्रश्न था ? मोतीलालजी ने उसका समाधान देते हुए कहा-सुधरी एक प्रकार से तेरापथ की पृष्ठभूमि रही है। यहा स्वामीजी ने चैत्र शुक्ला नवमी के दिन अभिनिष्क्रमण किया था । यद्यपि तेरापथ की दीक्षा तो उन्होने केलवा मे ली थी। पर उसका प्रारभ तो यही से हो गया था। अत. भले ही द्विशताब्दी समारोह केलवा मे आयोजित हो, पर चैत्र शुक्ला नवमी की अक्षय तिथि को यदि उसकी पृष्ठभूमि मान लिया जाय तो भी हमे सतोष है और हमारा आग्रह है कि आचार्यश्री उस तिथि को सुधरी में मनाने का गौरव हमे प्रदान करें। ___ मोतीलालजी की भाव भापा और भगिमा मे इतना प्रभाव था कि उनकी माग पर आचार्यश्री को गभीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन देना पड़ा।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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