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________________ ११७ की स्थिति बड़ी समस्या सकुल है। इसका अगर कोई समाधान हो सकता है तो वह एकमात्र अध्यात्म ही है । विचार का प्रभाव जड पर नही होता, चेतना पर ही हो सकता है। आकाश के लिए धूप और वर्षा का उपग्रह या अवग्रह नही हो सकता। आज खुश्चेव और आइक शाति की बातें करते है, पर उनके अतिरिक्त अशाति पैदा की ही किसने है। प्रत विना अशाति के कारणो को मिटाये शाति की चर्चा करना निरर्थक है। अहिंसा और समता ही सच्चा विज्ञान है। शासन किसका रहे और किसका न रहे यह चिंता हमे नही करनी है। हमे अपने शासन मे रहना है। अगर हम अपने शासन मे रहेगे तो दूसरा कोई हमारे पर शासन नही कर सकता । शासन तो तब आता है जब व्यक्ति स्वय शासित नहीं रहता । इसीलिए प्रात्मानुशासन और अध्यात्म आज के इस समस्या सदोह का समाधान हैं। विचार-परिषद् का यह आयोजन बहुत ही आकर्षक रहा । विचारकों के अच्छे और सुलझे विचारो ने सभी श्रोताओ को चिंतन मनन के लिए बहुत ही उत्कृष्ट खुराक प्रस्तुत की। आयोजन के बाद काफी देर तक आचार्यश्री से जैनेन्द्रजी ने सथारे के बारे में चर्चा की। उनका मत इस सम्बन्ध मे आचार्यश्री के मत से विपरीत था।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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