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________________ २८-१-६० बिडला मन्दिर मे आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस मे श्राचार्यश्री ने कहा- मैं कलकत्ते से पद-यात्रा करता हुआ आया हू और राजस्थान की भोर जा रहा हू । लगभग एक हजार मील की यात्रा हो चुकी है और पाच सौ मील की यात्रा अभी तक बाकी है । अभी-अभी मैं जो राजस्थान जा रहा हूं इसके पीछे एक उद्देश्य है । उदयपुर डिवीजन मे राजसमद मे तेरापथ सघ का द्विशताब्दी समारोह आयोजित होने वाला है । मैं उसी मे सम्मिलित होने का उद्देश्य लेकर उस ओर जा रहा हू । उसका प्रारभ आषाढ पूर्णिमा से होगा और वह सभवत ६ महीनो तक यथासभव रूप से चलता रहेगा । इस अवधि मे विविध प्रकार के कार्यक्रमो की श्रायोजना की गई है । तेरापथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु की रचनाएं तेरापथी महासभा द्वारा मूल व अनुवाद सहित प्रकाशित की जा रही है । उस समय ४०-५० पुस्तको का नया साहित्य प्रकाश मे आ सकेगा । ऐसी सभावना है । इससे न केवल हिन्दी साहित्य की ही समृद्धि बढेगी अपितु अनेक मौलिक विचार भी देश के सामने आएंगे । हस्तलिखित ग्रन्थो, चित्रो तथा अन्यान्य कलात्मक वस्तुओ की एक अच्छी प्रदर्शनी का प्रायोजन भी इस अवसर पर हो सके, ऐसा कुछ लोग प्रयत्न कर रहे हैं । मेरी यात्रा का दूसरा उद्देश्य है— एक मुनि का श्रमररण अनशन । सरदारशहर मे हमारे सघ के एक मुनि जिन्होने अपने जीवन मे लम्बीलम्बी विचित्र तपस्याए की है, अब आमरण अनशन पर हैं। इसका सकल्प वे २४ वर्ष पहले ही कर चुके थे। मुनि के लिए तपस्या के उद्देश्य दो
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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