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भट्टारक संप्रदाय
[१२२ --- श्रीमूलसंधे. भ. श्रीधर्मचंद्रोपदेशात् बघेरवालज्ञातीय ..॥
(का. ४) लेखांक १२३ - चौवीसी मूर्ति
___ शके १५६७ पार्थिव नाम संवत्सरे श्रीमूलसंधे भ. धर्मचंद्रोपदेशात् बघेरवालज्ञातीय खंडारिया गोत्रे श्रावण · · |
(दे. मा. दर्यापुरकर, नागपुर ) लेखांक १२४ - ? मूर्ति
शके १५६९ सर्व · 'जेष्ठ श्रीमूलसंघे भ. श्रीधर्मभूषण तत्पट्टे भ. देवेंद्रकीर्नि तत्यहे भ. कुमुदचंद्र तत्प? भ. श्रीधर्मचंद्र तदानाये धर्माचार्य पासकीर्ति तदुपदेशात् साहितवालज्ञातीय ॥
(बाळापुर, अ. ४ पृ. ५०४) लेखांक १२५ - चौबीसी मूर्ति
वों नम सिद्धेभ्यः गोमटस्वामी आदीश्वरमूलनाईक चोवीस तीर्थकरकि परतीमा चारकीरति पंडित धरमचंद्र बलातकार उपदसा शके १५७० सर्वधारी नाम संवत्सरे वैशाख वदी २ सुकुरवार देहरांकी पत्ती स्यहै गेरवाल चवरे गोत्र जीनासा... ||
श्रवणबेलगुल, [जैनशिलालेख संग्रह १ पृ. २२९ ] लेखांक १२६ - धर्मचंद्र गुरु पूजा ( पूजा-) कुमुदचंद्रपदे प्रयजे वरं ।
सुगुणधर्मसुचंद्रमुनीश्वरं ॥ १॥ (स्तुति-) स भवतु वरभूत्यै धर्मचंद्रो मुनींद्रो द्विजकुलमहितोसौ वासुदेवेन बंद्यः ॥ १० ॥
[म. ६३]
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