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भट्टारक संप्रदाय
वर्धमान के शिष्य धर्मभूषण हुए। इन के समय शक १३०७ की फाल्गुन कृष्ण द्वितीया को राजा हरिहर के मंत्री चैच दंडनायक के पुत्र इरुगप्प ने विजयनगर में कुन्थुनाथ का एक मन्दिर बनवाया [ले. ९६] । धर्मभूषण ने न्यायशास्त्रमें प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए न्यायदीपिका नामक ग्रंथ की रचना की। इस के प्रथम प्रकाश में प्रमाणलक्षण का, दूसरे प्रकाश में प्रत्यक्ष प्रमाणों का तथा तीसरे प्रकाशमें परोक्ष प्रमाणों का अच्छा विवेचन किया गया है [ ले. ९७] ।
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बलात्कार गण-प्राचीन-कालपट
१ श्रीनन्दि
२ श्रीचन्द्र [संवत् १०७०-१०८७) ३ मेघनन्दि
४ केशवनन्दि (संवत् ११०४) ५ मुनिचन्द्र
६ अनन्तकीर्ति
७ केशवदेव ८ पक्षोपवासी
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