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alबू श्री पूरणचन्दजी नाहर के पत्र
लाहौर के भाई बनारसी दासजी एम०ए० यहाँ यथा समय पहुँचे थे और चार पांच दिन रहकर वापिस रवाना हो गये हैं । बहुत सज्जन है और उनसे मिलकर चित्त विशेष प्रसन्न हुआ। उनकी सेवा कुछ वनी नही कारण मैं अजीम गंज चला गया था। आगे जगत सेठजी के विषय मे जो बंगला की पुस्तक भेजने को लिखा उसके लिये मैंने बहुत कोशिश की, परन्तु इस समय वह पुस्तक मिलने की आशा नही है । दूसरी 'जातक' नाम की पुस्तक डाक से भेजते हैं । पहुँचने पर प्राप्ति संवाद देने की कृपा कीजिएगा और काम हो जाने पर मेरे यहाँ के पुस्तकालय के लिये लौटा दीजिएगा । कारण यह पुस्तक हमारे पुस्तकालय मे नही है |
बावू दयालचन्दजी आगरे वाले यहाँ पर थे उनसे मिलना होने पर आपका धर्मलाभ कह देवेंगे ।
भण्डारकर इन्स्टीट्यूट के चदे का रुपया यहाँ बाबू राजकुवर सिंहजी को शीघ्र ही भेज दिया जायेगा और जैन साहित्य संशोधक समाज के चन्दे के रुपये की रसीद भेजने की आज्ञा दीजिएगा । और मेरे योग्य सेवा लिखिएगा । और वहाँ के सज्जन विद्वानो को मेरा यथोचित प्रणाम नमस्कार कह दीजिएगा । ज्यादा शुभ - सं० १९७७ भादो सु० ८
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Calcutta 12-9-20 स० १९७७ भादो सुद १२
परम पूजनीय पंडित प्रवर श्री मुनि जिन विजयजी महाराज की पवित्र सेवा मे लिखी पूरणचन्द नाहर की वन्दना बहुत कर अवधारिएगा। कृपा पत्र पहुंचा । आपके तरफ की खामना सविनय शिरोधार्य किया । अपरच भडारकर इन्स्टीटयूट को मेरे तरफ का पेटून का चंदा आपके पत्र प्राप्ति के दो रोज पहले ही बाबू राजकुंवर सिंहजी को रु. १०००