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श्री केशरी चन्द भंडारी के पत्र बहुत कम वन सकेगा। तथापि कोई मौके पर तबियत ठीक रही तो मैं सहर्ष आपकी सेवा मे हाजिर होऊँगा।
देवास के एक साहित्य प्रेमी पोरवाड जाति के गृहस्थ जिनके बारे में आपने लिखा सो वे गृहस्थ तो गुजर गये । वे छोटी पाँती के जमीनदार थे व बड़ी पांती में रहते थे । अब उनके लड़के हैं । वे भी विद्या के प्रेमी है परन्तु आजकल वे देवास मे नही रहते । देवास से पाच कोस पर एक गांव है, वहाँ एक ओहदेदार हैं। परन्तु कुछ वर्षों से उनका विद्या विषयक वातो की तरफ बहुत दुर्लक्ष हो गया है । सबव उनका कुछ उपयोग इस काम मे होगा नही । तो भी मैं उनको लिखू गा व
आपका पत्र बताकर उनका चित्त आकर्षित करूंगा व बाद को आपको लिखूगा।
लाहौर के बाबू बनारसी दासजी का पत्र मुझे आया है-उन्होने लिखा है कि महाराज साहब की तरफ से कोई जवाब नही सो क्या सवव है । आपके पत्र से मालूम हुआ कि आपने उनको खुलासे वार पत्र लिखा है सो बहुत अच्छा किया। वे बड़े उत्साही व विद्वान हैं उनका इस काम में बहुत उपयोग होगा । मैं भी उनको आज ही पत्र लिखता हूँ।
रुपये आप जव फौवेंगे तव भेज दूंगा उत्तर की कृपा करें।
आज्ञाकारी केशरी चन्द भंडारी