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प्रख्यात एपिनाफिस्ट डा. हीरानंद शास्त्री के पत्र
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अल्कापुरी बड़ौदा
१७-३-३८ श्री मुनिजी प्रकाण्डा !
शायद मेरा पत्र आपको नहीं मिला। स्टेशन पर आपका कोई आदमी नही मिला । उत्तर भी नहीं पहुंचा। यदि आप अहमदावाद ही हो तो मैं एक दिन चला आऊँ आजकल दफ्तर बंद है । २३ तारीख तक छुट्टियां हैं।
विज्ञप्ति त्रिवेणी से पता लगता है आपके हाथ उत्तम सामग्री है। यदि मलिक वाहण से भेजा, श्री जय सागर का पत्र (स, १४८४) देख सकू या उसकी एक दो फोटो ले सकूँ तो क्या ही सौभाग्य की बात हो । काँगड़ा में तो मैंने बहुत सा काम भी किया है एव १३ वीं शताब्दी का ताड़पत्र का तथा मुनि सुन्दर सूरी का स १४६६ का यदि कुछ सहाय दे तो कृपा हो। मेरी तो प्रार्थना ही है। मानना आपके आधीन है। आशा है आप उत्तर अवश्य देंगे।
विनीत हीरानन्द शास्त्री
(७)
बड़ौदा
ताः १-४-३८ श्री मुनिवराः
आपका २६-३-३८ का पत्र मिला । धन्यवाद ! आशा है आपका स्वास्थ्य ठीक होगा। साबरमती का जलवायु आपके अनुकूल होगा।
जहां तक मैं समझ सका हूँ आपका जैन लिटरेचर, इतिहास, शास्त्र ज्ञान अगाध है और मैं उससे बहुत कुछ सीख सकता हूँ। आपका यह कहना कि आप छात्र हैं आपके विनय और सौजन्य का