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श्री काशीप्रसाद जायसवाल के पत्र
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(११)
मिर्जापुर
श्रावण पूर्णिमा माननीय मुनिजी,
मैं बीमार होकर घर आया हूँ। दो ज्योतिषियों से गणना कराई, आपकी गणना दोनों ने ठीक बताई । एक (काशीस्थ) के पत्र की नकल साथ भेजता हूँ।
श्री युत्त केशव लालजी का चुनाव कोई एक महिने में होगा।
आपका काशीप्रसाद जायसवाल
(१२)
खण्डगिरि, उड़ीसा
कार्तिक सुद ६, १९७४ मान्यवर,
पत्र यहां आया ।
पत्र यहाँ आया, बाबू राखालदास बनर्जी और मैं यहाँ फिर आकर आखिरीवार हाथी गुम्फा पढ रहे है। कोई बड़ा फेर-फार इस बार नही हुआ । इससे पाठ निश्चित हो गया है । ___ इस काम में लगे रहने से पूना पहुँचने की आशा कम है, नही तो मैं निश्चय कर चुका था कि आप ही का अतिषि वनू और आपके सत्सग का सुख उठाऊँ । जर्नल का एक प्रक भेजता हूँ। मुझे पूना न पहुंचने का दुःख है।
आपका काशीप्रसाद जायसवाल