________________
पं. श्री गौरीशंकर, हीराचन्द जी ओझा के पत्र
चि. रामेश्वर तथा दोनो छोटे बच्चे प्रसन्न है। आपको प्रणाम लिखवाते हैं । पार्सल बाबू ने मांगा रोड पर पार्सल लेने से इन्कार कर दिया अत: Bombay Central भेजी गई है कृपया वहाँ मे मंगवा लीजियेगा। कृपा पत्र भिजवावें।
विनीत गौरीशंकर हीराचन्द ओझा
(२०) म म. रायबहादुर
अजमेर डॉ. गो. ही. ओझा D. Litt.
१७ जनवरी १९४०
परम श्रद्धास्पद मुनिवर श्री जिनविजयजी महाराज की सेवा मे गौरीशकर हीराचन्द ओझा का सादर प्रणाम । अपरच आपका कृपा पत्र ता. १५-१-४० का मिला, समाचार जाने । सिन्धी जैन ग्रंथ माला की नवीन प्रकाशित तीनो पुस्तकें मिली । जिनके लिए अनेक धन्यवाद । क्या आपने सिंधी जैन ग्रन्थ माला का पहले का निर्धारित क्रम अव बदल दिया ? यदि ऐसा हो तो भी प्रभावक चरित का उत्तम सस्करण तो निकलना ही चाहिए, क्योकि पहले का संस्करण संतोषजनक नहीं है।
पहले से मेरा स्वास्थ्य अब कुछ ठीक है परन्तु कमजोरी अभी वैसी की वैसी बनी हुई है । एकाध हफ्ते बाद ताम्र पत्र पर लेख लिखवाने का काम शुरू कर देऊंगा।
"कर्मचन्द्र वशोत् कीर्तनक काव्य" छपा हुआ तो पड़ा है परन्तु उसकी भूमिका अभी लिखी नही गई । प्रेस से एक कापी मगवाकर आपके पास भेज दूंगा। आशा है शीघ्र ही आपके दर्शनो का लाभ प्राप्त होगा।
विनीत गौ. ही. ओझा