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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
Ajmer
Dated 22 April, 1927 श्रीमान् आचार्य जी महाराज श्री १०८ श्री जिनविजय जी महाराज के चरण सरोज में गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का सस्नेह प्रणाम । अपरंच । आपकी सेवा मे आज की डाक से मेरे राजपूताने के इतिहास का दूसरा खण्ड पार्सल द्वारा भेजा जाता है और इसके साथ में आपकी हस्तलिखित पुस्तक भी भेजी जाती है। इसके पहुंचने पर कृपया इसकी पहुँच स्वीकार कीजिएगा।
भवदीय Gauri Shanker H. Ojha
अजमेर
ता० २४.६-२७ परम पूज्य विद्वद्रत आचार्य जी महाराज १०८ श्री जिनविजयजी महाराज की सेवा में गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का दण्डवत प्रणाम । अपरंच । ता० २२ अप्रेल को आपकी सेवा में मेरे राजपूताने के इतिहास का दूसरा खण्ड तथा आपकी भेजी हुई हस्तलिखित पुस्तक, जिसमे राठोड़ों की वंशावली थी दोनों रजिस्टर्ड बुक-पोस्ट द्वारा भेजी गई थी, परन्तु अब तक उन दोनो की पहुंच नहीं आई। अतएव कृपा कर उनकी पहुंच सूचित करे।
श्रीयुत आनन्दशकर बापू भाई ध्र वजी के Commemoration Volume के लिये एक लेख लिख भेजने का ता० २१ मार्च १९२७ के पत्र में सी. एम. दीवान जी ने भाग्रह किया था और उसमे आपका हवाला भी दिया था। उस समय मैं बाहर था और उसके बाद भी मेरा बाहर रहना हुआ। फिर शारीरिक अस्वस्थता के कारण लेख न ।