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बाबू पूरणचन्द जी नाहर के पत्र
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पत्र श्रीमान पृथ्वीसिंह के साथ यथा समय पहुंचा था । श्रीमान भाई बहादुरसिंह सिंघी को भी आपका पत्र बंचवा दिया था। पश्चात् मैं हठात् बीमार पड गया । टट्टी से ज्यादा खून जाने से बहुत सुस्त हो गया था और दाहिनी तरफ Nerpes के दाने निकलने के सबब बहुत तकलीफ थी। अभी तक गडबड़ चल रही है। इस बीच में भाई सिंधीजी दो बार हमको देखने भी आये थे। आपके विषय में वे खुद कहते थे कि पत्र से सब विषयो का समाधान नहीं हो सकेगा एक दो रोज के लिये आपको ही कष्ट देकर बुलवावेंगे। लेकिन हमने सुना है कि इधर २-३ दिन से उनकी स्त्री का स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया है। इस कारण उनके वहाँ सब लोग चिन्तित हो रहे हैं। नही तो आपको अवश्य पत्र लिखते मुझे भी एक बार आपसे मिलने की अभिलाषा है । कुछ स्वास्थ्य ठीक होने पर चाहे मैं स्वयं वहां चला आऊंगा अथवा श्रीमान बहादुरसिंह बाबू से आपको यहां आने के लिये लिखवा दूंगा।
हमारी पौत्री चि. कमलकुमारी को आपरेशन हुआ है । सो श्रीमान पृथ्वीसिंह देखने गये हैं । आपके पत्र का उत्तर वे पीछे लिखेंगे । उनकी स्त्री की अवस्था उसी प्रकार चल रही है और सब लोग आपकी शुभाशीष से अच्छे हैं। श्रीमान भोलु की सविनय वन्दना बांचिएगा। डा० मणीभाई पटेल के साथ पट्टावली की २० प्रतिया भेजते हैं और चाहिये तो समाचार आने पर भेज देंगे ज्यादा शुभ स. १६८९ मि. श्रावण सुदि १५ ।
भवदीय पूरणचन्द नाहर की वन्दना