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0 हम गरीब हैं इसलिए चरित्रहीन हैं, ऐसा नहीं। अपितु सचाई यह है कि हम चरित्रहीन हैं, इसलिए गरीब हैं। गरीबी का परिणाम चरित्रहीनता नही है। चरित्रहीनता का परिणाम गरीवी है। चरित्र स्वय मे एक बहुत बडी समृद्धि है, और है समृद्धि की आय का स्रोत । चरित्र व्यक्ति के अन्तर मे प्रसुप्त श्रम-देव को जागृत करता है । सकल्पो मे दृढता लाता है । कुछ करने की हिम्मत यह चरित्र ही व्यक्ति को देता है। चरित्रवान् व्यक्ति का आत्मवल वहा ही शक्तिशाली होता है । इस आत्मवल के आधार से ही व्यक्ति अनेक कठिन-कठोर ऊँचाइयो को प्राप्त कर लेता है । जिससे उसका दन्य, उसकी गरीवी पलक झपकने भर मे ही समाप्त हो जाती है । फिर उसके जीवन मे वह सुख के स्रोत फूट पडते हैं जिनके द्वारा वह स्वय ही नहीं, अपितु उसका परिवार समाज तथा राष्ट्र तक आप्लावित हो उठता है। सर्वत्र अमन-चैन का सचार हो जाता है । सर्वत्र आनन्द का वातावरण प्रसारित होने लगता है । इसलिए व्यक्ति का चरित्रवान् होना अनिवार्य रूप में आवश्यक है।
८६ / चिन्तन-कण