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0 खेत में बीज डाल देने के पश्चात् कृपक को कितनी लम्बी प्रतीक्षा करनी होती है वीज से पौधा बन जाने तक ! अभी आम का विरवी रोपा और अभी आम खाने को मिल जाएं तुरन्त ही, ऐसी आशा रखना एक असम्भव कल्पना है। वीज के अकुरित एवं फलित होने की प्रतीक्षा तो करनी ही होगी। प्रतीक्षा का भी अपने आप मे एक अनिर्वचनीय आनन्द है। और सत्य के लिए तो प्रतीक्षा ही परमात्मा है । इसलिए उतावले मत बनिए। जल्दवाजी मे किया गया कार्य सतापं को जन्म दे जाता है। प्रतीक्षा हमारे धैर्य की परीक्षा भी हैं। धैर्य का दामन छोड देने से जीवन के लम्बे मैदान को पार नही किया जा सकता। यह धर्य एवं प्रतीक्षा-वृत्ति ही हमारे पुरुषार्थ के फलित होने मे हमारे लिए परम सहयोगी है।
२६ | चिन्तन-कग