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- जो प्रतिपल विकसित होता चला जाए, सूक्ष्म घरौदे से निकलकर सम्पूर्ण आकाश पर छा जाए, वही महापुरुष हो सकता है । यानी जो क्षुद्र से विराट्, अणु से महान, विन्दु से सिन्धु की निस्सीमता मे पहुंच जाता है, वही महापुरुषो की श्रेणी में आता है। महान का अर्थ ही है विराट-विशाल ।
१०४ | चिन्तन-कण