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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ग्रन्थमाला -
कर्ता
लिपिसमय | पसंख्या
विशेष विवरण आदि
१७१०५६८-५६६ विकृत संस्कृतका ग्रन्थ है।
५६६-५७० ५७०-५७५
(३४) (२५१) कर्मविपाकगीता | मोहनदास.
(२५२) भरथरीजीका श्लोक फुटकर (२५३) रज्जबजीका कवित्त रज्जव
छन्द ७७ : (२५४) मोहमदराजाको कथा जगन्नाथदास
(२५५) नामदेवजीकी परची अनन्तदास । (२५६) त्रिलोचनजीको परची
५७५-५७६ ५७६-५८० ५५०-५८१
रचना-१६४५
- नोट-यह गुटका संवत् १७१० प्रयया इससे पूर्वका लिखा हुआ प्रतीत होता है जैसा कि बीचमें सुन्दरदासजीके ग्रन्थ ज्ञानसमुद्रफी समाप्ति पर लिखा हुआ है। अन्तमें जो संवत् १७१५को प्रशस्ति लिखी गई है यह पृथक् स्याहीसे अन्य लेखकको लिखी हुई ज्ञात होती है । (सं०)
३५ गुटका
(१) चिकित्सासार, ६०१ छन्द .... (२) नरवैवोध और शब्दी
१८०८
६०
गङ्गाधर गोरखनाथ
१-१७
अपूर्ण । इसमें दोहा चौपाई प्रादि छन्द हैं । नरबोधमें ११६ छन्द तथा शब्दीमें १४८ छन्द हैं।
१७७४
12-२१
(३) हरिचन्दशत . (४) भक्तिभावती (५) ध्र वचरित्र
ध्यानदास गणेशानन्द जनगोपाल
२१-४४ ४४-५६
। रामानन्दीय-साम्प्रदायिक-साधुकृत ग्रन्थ । लि.क.-गङ्गाराम सवाईजयसिंहजीराज्ये, पुरोहितशुभरामकृते, सांगानेरमें लिखित ।
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