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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]..
की
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
....... ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क.
१७१५
४४५-४४६
४४६-४४६ दादजीकी स्तुतिके वीररसभरे उत्तम सर्वया है।
४४६-४५० ४५०वा ४५०वा
दादूजी-जनगोपाल-भेंट।
(३४) । (२०१) चैनदासजीके पद १५ चैनदास (दादूशिष्य) (२०२) चैनदासजीका सवैया २ और
कड़खा (२०३) बारहमासा छन्द १२ जनगोपाल (२०४) जनगोपालके पद ७ , (२०५) अनन्तलीला (राग गुण्डकेदारो). " छन्द १६
: (२०६) जनगोपालके पद छन्द २६
(२०७) भेटके सवैये ६ ' (२०८) ध्रुवचरित्र (२० विश्राम)
(२०६) प्रह्लादचरित्र (१८ विश्राम) , , (२१०) मोहविवेक (१० विश्राम, "
१२८ चौपाई) (२११) भरथचरित्र (६ विश्राम) , (२१२) चौबीस गुरांकी लीला , । (२१३) दादूजीको जन्मलीला परची : ,
(१६ विश्राम) (२१४.) जखड़ी कायाप्राणसंवाद ,
(छन्द ८) (२१५) जनगोपालके पद ७ (२१६) जैमलके पद १४
जैमल
४५०-४५४ ४५४वा ४५४-४६० ४६०-४६५
४६५-४६६
४६६-४७१ ४७१-४७३ ४७३-४८५
४८५-४८६
४८६-४६७
४८७-४८८