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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] - ... ..
लिपिसमय
कर्ता
पत्र संख्या
विशेप विवरण आदि
ग्रन्थमाला
क्रमाङ्क
(१२) । (३८) नामदेवजीके पद-राग १३ पद ७५ नामदेव भक्त
। (३६) कबीरजीके पद
कवीर ..
१७४१-४३ २०१-२१३ २१३-२६२ / पृष्ठ २६२B पर एक पद गोपालका और
एफ पद सूरदासका भी लिखा है (सं)। २६२B-२६३ बहुत अच्छे पद हैं । २६३B पत्र पर परस
राम, चतरदास और त्रिलोकके भी पद हैं। २६२A
(४०) सूरदासादिके पद फुटकर
सूरदास
नानक
(४१) नानकको साखी फुटकर
साखी १४ (४२) ज्ञानसमुद्रका अंश छन्द
२८ मात्रा (४३) अध्यात्मबोधिनी
सुन्दरदास बूतर
२६४-२६५ जोगसिद्धान्तपूजाके
गरीवदास
२६५-२६८ प्रादिमें लेखकने भूनसे रज्जबजीका नाम
लिखा है पर यह गरीबदासजीकी रचना है। अन्तमें 'प्रति भगवानदासको सों लिखी सं.
१७४३' ऐसा लिखा है। ..२६८
(४४) स्फुट सन्तपदावली
..
(१) रज्जब (२) जनगोपाल (३) जनदुर्जन
परमानन्द (५) हरदास सुन्दरदास । रज्जव ...
(४५) कालचिन्तावणि ६ अङ्ग " (४६) रज्जबजीको साखी
हरदासजी पद बहुत अच्छे हैं। २६६-२७१ २७२-२६० : इसके अंतमें 'इति श्रीरज्जवजीफी साली
संपूरणा समाप्ता सं. १७४१ जेठ मासे थावर वारे तिथिमा ८, दिन में लिखी प्रति स्वामी साईवासको सूलिखो' ऐसा लेख है । (सं):