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लिपिगमय परसंध्या
विशेष मागादि
जनमोहन
१६. In नाम (शत)
१८५८१०१-१०७
१०७-१४० १४०-१४२ | भगवान् विष्णुगो राहस नाममें से बने हुए २८
नाम है। १४२-२०७ २०७-२१६ २१६-२२८
नन्ददास
(७) रानाध्यायी (D) समरक्षास्तोत्र (६) मानलीला.
चरणदास
प्रारंभिक १७ स्फुट पत्रों में
१६१४
(१) गीत (fer री गावाज मैं सुन
कर भागो) (२) फुट कवित्त (बजरङ्गको लायनी) (३) हनुमाननालीसा, हनुमान लागनी | (४) बारहमासी (५) धारित
जनगोपाल (६) फर्मपर्मसंवाद
रोमदास रज्जवशिष्य .: (७) भरतविलाप
ईसरदास (८) ऊपाचरित
का-~-५ कृतिया (१) भाववासबाणी (जीवदशा) ध्रुवदास राधावल्लभो
हितशिष्य.
१-४१ ४१-५८ ५५-७१ ७१-१२८
अपूर्ण।
१-६ | इनके कई ग्रन्थ 'भारत जीवन प्रेस' में सन् ..
१९०४में छपे हैं। मूल्य १. पाने । ये ग्रन्थ . . नागरी प्रचारिणी सभा, फाशीकी कॉपीसे छपे ... । है । इसमें जो ग्रन्थ पाए हैं उनके नाम ये हैं----