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________________ :: राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क कर्ता लिपिसमय पत्रसंख्या विशेप विवरण आदि ग्रन्थनाम १५६ सीतारामरहस्यचन्द्रिका . . मांगीलाल (रूपसरस ?) १९६२१३६ पेज प्रायः पद्योंमें रूपसरसफो ही अधिक प्राव: त्तियां दृष्टिगोचर होती हैं अत: इसीकी यह कृति हो । मांगीलाल तो इस प्रतिका लिपिकार हो सकता है अथवा रूपसरस उसका उपनाम हो । लि.क.-गोपीचन्द शर्मा । मांगी: लाल खंडेलवालको १९३८ संवत्को प्रतिसे लिपीकृत । जयपुरमध्ये । (सं०) लि.क.-गोपीचन्द शर्मा गौड़, जयपुर। , १-८ १-१४ २०वी.श. ५ १६० (१) तत्वमञ्जरी रामानुजदास ..... (२). गुरुप्रतापादर्श (३) बालप्रबोधनी वार्ता (४) गुरुपरम्परा (५) ध्यानमञ्जरी अग्रदास १६१, सुन्दरदासजीको चौतीसी व बावनी । सुन्दरदास स्वामी १६२ ज्ञानबावनी .. १६३ हीरावावनी वा कक्कापच्चीसी, पद्य २५ | हीरा. . ., १६४ कबीरदासजीको चौतीसी . कबीरदास १६५ , , बावनी १६६ / प्रबोधबावनी, पद्य ४७ जिनरंगसूरि १६७ भीषजनकी बावनी भीषजन | रामजीको बारहखड़ी, पद्य ३४ | गोस्वामी तुलसीदास | सुदामाजीकी बारहखड़ी, पद्य ३६ | सुदामा " or or a on my gou arm! M
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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