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________________ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ] क्रमाक १२२ १२३ ग्रन्थनाम श्रवधा ( श्रवदी) नाममाला नाममाला ( गीतवेलियो) १२४ |एक प्रखरीनाममाला १२५ | श्रनेकारथी - एकाक्षरीनाममाला १२६ डिङ्गल-ग्रभिधानसंग्रह (डिगलकोशा न्तर्गत ) १२७ (१) एकअपरीनाममाला कर्त्ता कविवर उदराम रतनूहमीर रतनू वीरभाण ' बारहठ उदैराम कवि कविराजा मुरादा (मिश्रण सूर्यमात्मज बूंदीवासी) रतनूवीरभांण ( माधो श्राचारज) लिपिसमय F २०वीं. श. ५४ "" "" 33 पत्र संख्या "" २६ १२ २६ ८० विशेष विवरण आदि पद्य सं. ६३८ कुल है। लि.क. - गोपीचन्द शर्मा, जयपुर ( ? ) र.का. - १७७६, (१७०६ ? ) लि. क. - गोपीचन्द शर्मा ( ? ) लि.क.- गोपीचन्द्र शर्मा । इसमें कुल पद्य १३२ हैं । १३१वें पत्र में रचनाकाल इस प्रकार दिया है - 'समत हर रिख सकीयो, भगत राग लख व्रंक | क्रस्न सप्तमी श्ररु गुरु माला करी श्रवक ॥। १३१|| इस दोहे पर यह नोट लिखा है - " इस दोहेका शुद्ध पाठ नहीं मिला है अन्य प्रतिके प्रभावसे । महाराजा श्रभयसिंहजीका राज्यकाल विक्रम संवत् १७८० से १८०६ तकका । यदि हर रिषसे ७३ लिया जाय तो १७७३का संवत् माना जाना उपयुक्त होता है और शुद्ध पाठ मिलनेते महीनेका नाम भी निकल सकता है । कृष्णा सप्तमी तो है ही ।" लि.क. - गोपीचन्द शर्मा, जयपुर । "" [ ६१ १-१२ पेज | लि.क. - श्रासीया बुधा । 11
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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