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राजस्थानापविद्याविष्ठान----विद्याभपण-ग्रन्य-संग्रह-सूची
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कर्ता
लिपिसमय
पनसंख्या
विशेप विवरण आदि
(६१)/(२१) हीयाली फयित्त (फहमुफरीके
अनेक कवि
१७६६
६७-७०
इसमें 'कवित्त मंछ उथल' तथा पत्रके
प्रास्ताविक दोहे एवं बिहारीकविके एक दो | दोहों पर पघटीका है । (सं.) | चक्रबन्ध काव्य ।
कवि पीथल
(२२) कवित्त प्रप्टाविधानी (२३) सधया छप्पय प्रावि (२४) मधुमालती
७०-७१ ७१-७४ १-३८
चतुर्भुजदास
लि.स्था.--गिरवरपुर, साहदेवजी बीजावरगी| पठनार्थ। लि.क.- मनसाराम पांडे ।
६२
१८६६
(१) मधुमालती (२) हितोपदेश भाषा (३) रतनायतीको वारता
विष्ण शर्मा जान कवि चतुर्भ जवास
६३ | मधुमालती .
.
सन १४३
, ६७-१४२ . , ,, रचना-सं. १६६१, हिजरी १०१४। . १६६६ १७५ यह प्रतिलिपि १८५३की प्रतिसे लिपीकृत है।
| इसी पुस्तकमें ३५ स्फुट पत्र और हैं जो | भगवानदास लेखक द्वारा प्रेसकापीके रूपमें
किये हुए हैं । (सं.) १९वी.श. १-१० १-३ पत्र तक कवित्त हैं।
• ६४
(१) हमीर रासो (१ कवित्त,
नोसाणी महाराज प्रतापस्यघजीको मिडिया हुकमचंदजीरी :
घणा
१०-१७
(२) नीसाणी महाराजकुमार राय- भूधरदास
चंद मनोहरदासोतरी (३) कवित्त
१७-२७
राव हणू श्रादिके सम्बन्धमें।