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सैकड़ों स्थानोंमें, अच्छे अच्छे ग्रन्थमएडार विद्यमान थे । इन भण्डारोंमें संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और देश्य भाषाओंमें रचे गये हजारों ग्रन्थोंकी हस्तलिखित मूल्यवान् पोथियां संगृहीत थी । इनमें से अब केवल जैसलमेर जैसे कुछ-एक स्थानोंके ग्रन्थभण्डार ही किसी प्रकार सुरक्षित रह पाये हैं । मुसलमानों और अंग्रेजों जैसे विदेशीय राज्यलोलुपोंके संहारात्मक अाक्रमणोंके कारण, हमारी वह प्राचीन साहित्य-सम्पत्ति बहुत कुछ नष्ट हो गई । जो कुछ बची-खुची थी वह मी पिछले १००-१५० वर्षों के अन्दर, राजस्थानसे बाहर- जैसे काशी, कलकत्ता, बम्बई, मद्रास, बंगलोर, पूना, बड़ौदा, अहमदाबाद श्रादि स्थानोंमें स्थापित नूतन साहित्यिक संस्थात्रोंके संग्रहोंमें बड़ी तादाद में जाती रही है । और तदुपसन्त यूरोप एवं अमेरिकाके भिन्न-भिन्न ग्रन्थालयोंमें भी हजारों ग्रन्थ राजस्थान से पहुँचते रहे हैं । इस प्रकार यद्यपि राजस्थानका प्राचीन साहित्य-भण्डार एक प्रकारसे अब खाली हो गया है, तथापि, खोज करने पर, अब भी हजारों ग्रन्थ यत्रतत्र उपलब्ध हो रहे हैं जो राजस्थानके लिये नितान्त अमूल्य निधि स्वरूप होकर अत्यन्त ही सुरक्षणीय एवं संग्रहणीय हैं ।
हर्ष और सन्तोषका विषय है कि राजस्थान सरकारने हमारी विनम्र प्रेरणासे प्रेरित हो कर, इस राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर (राजस्थान श्रोरिएण्टल रिसर्च इन्सटीट्यूट) की स्थापना की है और इसके द्वारा राजस्थानके अवशिष्ट प्राचीन ज्ञानभण्डारकी सुरक्षा करनेका समुचित कार्य प्रारम्भ किया है। इस कार्यालय द्वारा राजस्थानके गांव-गांवमें ज्ञात होने वाले ग्रन्थोंकी खोज की जा रही है और जहां कहींसे एवं जिस किसी के पास उपयोगी ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं उनको खरीद कर सुरक्षित रखने का प्रबन्ध किया जा रहा है । सन् १९५० में इस प्रतिष्ठान की प्रायोगिक स्थापना की गई थी, और अब पिछले वर्ष, १९५६ के प्रारम्भसे, सरकारने इसको स्थायी रूप दे दिया है और इसका कार्यक्षेत्र मी कुछ विस्तृत बनाया गया है। अब तकके प्रायोगिक कार्य के परिणाममें मी इस प्रतिष्ठानमें प्रायः १०००० जितने पुरातन हस्तलिखित अन्थोंका एक अच्छा मूल्यवान संग्रह संचित हो चुका है । श्राशा है कि भविष्यमें यह कार्य और भी अधिक वेग धारण करता जायगा और दिन प्रति-दिन अधिकाधिक उन्नति करता जायगा । .
राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला जिस प्रकार उक्त रूपसे इस प्रतिष्ठानके प्रस्थापित करने का एक उद्देश्य राजस्यानकी प्राचीन साहित्यिक सम्पत्तिका संरक्षण करनेका है वैसा ही अन्य उद्देश्य इस साहित्यनिधिके बहु. मूल्य रत्नस्वरूप ग्रन्थोंको प्रकाशमें लानेका मी है। राजस्थानमें उक्त रूपमें जो प्राचीन ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं, उनमें सैकड़ों ग्रन्थ तो ऐसे हैं जो अभी तक प्रकाशमें नहीं आये हैं; और