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सम्पादकीय प्रस्तावना
राजस्थान और इससे संबद्ध प्रदेशों के भूतपूर्व राजाओं, जागीरदारों, विद्वज्जनों, साहूकारों, मन्दिरों, मठों, उपाश्रयों तथा राजकीय सार्वजनिक संस्थानों के अधिकार में राजस्थानी भाषा में लिखित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ प्रचुर संख्या में उपलब्ध होते हैं। भारतीय साहित्य, इतिहास, राजनीति और दर्शनादि विषयों के अध्ययन को पूर्ण करने में इन ग्रंथों का विशेष उपयोग और महत्त्व माना गया है, इसलिये अनेक विदेशीय संग्रहालयों और पुस्तकालयों में भी राजस्थानी भाषा में लिखित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह एवं संरक्षण विडोप प्रयत्न से किया गया है। विद्वज्जगत की जानकारी और अध्ययन के लिये ज्ञात समस्त राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथों के सूचीपत्रों का प्रकाशित होना नितान्त आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कार्य है, तदनुसार रा० प्रा० वि० प्रतिष्ठान के केन्द्रीय पुस्तकालय, जोधपुर में संग्रहीत २१६६ ग्रंथों का परिचय "राजस्थानी हस्तलिखित प्रथ-सूची, भाग १" के रूप में गत वर्ष प्रकाशित हो चुका है। इसी क्रम में "राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग २" में ७७४ ग्रंथों का परिचय
प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों के सूची-पत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
१ सूचनात्मक, और
२ विवरणात्मक। प्रस्तुत ग्रंथ-सूची सूचनात्मक है, जिसमें ग्रंथ-पम्बन्धी कर्ता, लिपि-समय, पत्र-संख्या, रचना-काल, लेखन-स्थान, लिपिकर्ता आदि के विषय में अत्यन्त संक्षेप में सूचनाएँ दी गई हैं। स्पष्ट है कि विवरणात्मक" सूची की पूर्ति "सूचनात्मक" से नहीं की जा सकती। सर्व प्रथम ज्ञात संपूर्ण प्राचीन राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थों के परिचयात्मक सूचीपत्रों का प्रकाशन विशेष प्रावश्यक है और इसी दृष्टि से प्रस्तुत ग्रन्थ-सूची तैयार की गई है।
इस ग्रंथ-सूची में सङ्कलित कृतियों में कबीर सम्बन्धी रचनाओं (क्रमाङ्क ६७ से ७६), कृष्ण-रुक्मिणीरी वेली, सचित्र (क्रमाङ्क १८१), द्रौपदी चउपई (क्रमाङ्क २५०), नागराज पिंगल (क्रमात ३२६), पञ्चसहेलीरा दूहा (क्रमाङ्क ३६२), पन्दरमी विद्यारी वार्ता, सचित्र (क्रमाङ्क ३७६), पृथ्वीराज पवाड़ा (त्र माङ्क ४१३), रमरतनागर (क्रमाङ्क ५१६), राधावल्लभ ख्याल,