________________
राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
१६७० ७७२२ (१४)
वीरमदे ईडरिया श्रादिके कवित्त
आदि - || श्रीगणेशाय न ( म ) ॥
कवित्त- गढत लक दईवत सक झकत अहिराइरण । वनत धीन अहि वेलत पान षेधत पत्राइरण ॥ अमरत अस माया तपास रस होइ महा जल । परमा वात सोवन घात चितत वेगागल || अगराइ चाइ एकारणवै सालिहातर दिठो सवे । त्रिहु राइ तिलक नारियेण तना दाता तो वीरमदे ||
१६७३
ग्रन्त- कर परि जिण गिरवर घरची, मथुरा मारयो कस । रेषा राषस निरदले, जयकारी जदुवस ॥ १०
श्रीठाकुरारी साषी है ।। लिषत मिश्र प्रानदराम || शुभमस्तु ॥ २१४३ (४) वीसलदेव सूर शिकाररी वात#
प्रादि- ॥ अथ वडैराव वीसलदे सीरोहीरं धरणीरी मूवरारै सिकाररी वात लिपते ॥ हौ - गहै घूब लूवी घटा, वणिया टक विहल्ल ।
अरवदसु अलगा रहै, जाका कौण हवल्ल ॥ १
[ १३५
वात- आबूरा पाहडा ऊपर नवनाथ । चौरामी सिद्ध । चौसठ जोगरणी । बावन वीर । तेतीस कोड देवता तपस्या करें । स बूरं पाहडा ऊपर १ जलम लीयो मो मास २ अथवा च्याररो हूव । सो माईता सागै चरण जावें । सो पाहडं कोस १२ मै ते ऊपर चरै पीये । मो मारी ही ठोड तपसी तपस्या करै छै ।
अन्त- मो जिरण हमें मूवर सिकै थो तैमैं प्राय पडी । वडी मजलस हुई । जिकै सिरदार काम आया था तिकाने रावजी निवाजस करी । सीरोही पधारीया ।
इति श्री राव वीमलदेरै सूवरारै सिकार वात मपूर्ण । वेदस्तुति भाषा
१६६०.७७४३ (४)
आदि- || श्रीरामजी ॥ अथ बेदस्तुती भाषा लीष्यते ॥ राजश्रीराजैसीघजी
सभाषत ॥
छद- श्री भागीत दमम सकध,
वेद सतुत्म भाषा बध ॥
अती आनद भव बध छेद आवागमन मिटै भ्रम षेद ॥ चोपई- श्रीसुषदेव ब्रह्म तत्वज्ञाता | बंदब्यासके पुत्र विष्याता ॥ तीन पदबदन मैं करु । तीनको ध्यान हीरदम धरु ॥
अन्त- नीती प्रती पाठ जु जे करें, वुपजै ब्रम ज्ञान ।
तत पद नीचे पाय है, राज प्रम बीज्ञान ॥ ६०
इति श्रीवेद सतुती भाषा प्ररथ सपुरण || कथीत म्हाराज श्रीराजैसीघजी ॥
* स ४४५२ (५५) पर प्रति एकलगिड वराहरी वार्ता' और इस रचनाकी कथा -
वस्तु एक है, किंतु दोनोकी वर्णनशैली भिन्न है ।