SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 467
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समय ॥११३॥ RAKASREPRES-CIRECR-54 ॥ अव एकांत वादीका अर स्याद्वादीका लक्षण कहे है चौपाई ॥ दोहा ॥ सार. अमृतचंद्र बोले मृदवाणी । स्यादवादको सुनो कहानी॥ . .., अ० ११ - कोऊ कहे जीव जग माही । कोऊ कहें जीव है नाही ॥५॥ एकरूपं कोऊ कहें, कोऊ अगणित अंग। क्षणभंगुर कोऊ कहे, कोऊ कहे अभंग ॥६॥ P नय अनंत इहविधि है, मिले न काहूं कोइ ।जो सबनय साधन करे, स्यादाद है सोइ ॥७॥ अर्थ-अमृतचंद्र मुनिराज कोमल वचनसे बोले, मैं स्याहादका कथन 'कहूंहूं सो सुनो । कोई अस्तिवादी कहे जगतमें जीव है अर कोई नास्तिवादी कहे जीव जगतमें नही है ॥ ५॥ कोई 15 अद्वैतवादी कहे जीव एक ब्रह्मरूप है अर कोई नैयायिकवादी कहे जीवके अगणित स्वरूप हैं। कोई बौद्धमती कहे जीव क्षणभंगुर विनाशिक है अर सांख्यमती कहे जीव सर्वथा शाश्वत है ॥ ६॥ अर्थ , समजवेके मार्गकू नय कहते है ते समजवेके मार्ग अनंत हैं ताते नयहूं अनंत हैं, तिस नयमें कोई है नय काहूं नयसे मिले नही (विरोधी) है अर जे सब नयकू साधन करे ( सब नयत साचा साधिके । दिखावे ) सो स्याद्वाद है ॥ ७ ॥ ॥ अव जैनका मूल स्याद्वादमत है सो कहे है ॥ दोहा ।क स्यादाद अधिकार अब, कहूं जैनका मूल । जाके जाने जगत जन, लहे जगत जलकूल॥॥ 2 अर्थ-अब स्याहाद अधिकार कहूंहूं सो जिनशास्त्रका मूल है। स्याहादका स्वरूप जाननेसे जगतके जन है सो संसार जलधिते पार होय है ॥ ८॥ 98498REC%%-29-k%25A5%e0%A9CRE) ३||
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy