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________________ समय॥७२॥ RECORRUG RSS RSSI-STRENGIN DOREIREIROSLASTICA पणाका स्थान है। अरे जीव ? ये देहतो सुखका नाश करे है, इतनेपर तुझे प्यारी लागत है। पण ये हैं देहतो तुझको तजेगी, अरे जीव ? तूं क्युं इस देहकी प्यारी तजे नही ॥ ३७ ॥ दोहा ॥ 3 सुन प्राणि सद्गुरु कहे, देह खेहकी खानि । धरे सहज दुख पोषको, करे मोक्षकी हानि ॥३०॥ ६ अर्थ-सद्गुरु कहे हे प्राणी ? ये देह है सो मट्टीकी खाण है । ये स्वभावतेही वात पित्त कफ वा ॐ क्षुधा तृषादिक दोष• पुष्ट करनेवाली अर मोक्षकी हानी करनेवाली है ताते इसिका ममत्व छोडो ॥३८॥ . ॥ अव देहका वर्णन करे है ॥ सवैया ३१ सा ॥रेतकीसी गढी कीघोः मढि है मसाण कीसि, अंदर अधेरि जैसी कंदरा है सैलकी ॥ ऊपरकि चमक दमक पट भूषणकि, धोके लगे भलि जैसी. कलि है कनैलकी ॥ . औगुणकि उडि महा भोंडि मोहकी कनोंडि, मायाकी मसूरति है मूरति है मैलकी ॥ ऐसी देह याहीके सनेह याके संगतीसों, व्है रहि हमारी मति कोलकैसे बैलकी ॥ ३९ ॥ - अर्थ. यह देह है.सो रेतकी गठडी अथवा मसाण समान अपवित्र स्थान है, इस देहमें पर्वतके 8 गुफा जैसा अंधेर है । देहके ऊपर चमक दमक दीखे है सो वस्त्राभरणकी शोभाते झूठा भबका र भला लोग है, कनेल वृक्षके कली समान दुर्गध है । औगुण रहनेकी उंडी बावडी है दगा देनेथू है महाकृतनी अर मोहकी काणी आख है, माया जालका मसूदा अर मैलकी पूतली है। इसके ममतासे है अर स्नेहसे, हमारी मती है सो कोल्हू के घाणीके बैलं समान सदा भ्रमण करे है ॥ ३९ ॥ ठौर ठौर रकतके कुंड केसनीके झुंड, हांडनीसों भरि जैसे थरि है चुरैलकी ॥ __थोरेसे धकाके लगे ऐसे फटजाय मानो, कागदकी पूरि कीधो चादर है चैलकी॥ -RECARECRee ॥७२॥
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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