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________________ || मिथ्यात्वकी एक अर मिश्र मिथ्यात्वकी एक ऐसे छह प्रकृतीका क्षय करे अर दर्शन मोहनीयके एक प्रकृतीका उपशम करे सो तृतीय क्षयोपशम सम्यक्त है ॥३॥४४॥ अब वेदक सम्यक्तके चार भेद कहे। है-अनंतानुबंधीकी चार प्रकृती क्षय करे अर मिथ्यात्व तथा मिश्र मिथ्यात्व इन दोय प्रकृतीका उपशम ME करे अर सम्यक्त मोहनीके एक प्रकृतीका उदय होय सो प्रथम क्षयोपशम वेदक सम्यक्त है ॥१॥४५॥ अनंतानुबंधीकी चार अर मिथ्यात्वकी एक ऐसे पांच प्रकृतीका क्षय करे अर मिश्र मिथ्यात्वके एक प्रकृतीका उपशम करे अर सम्यक्त मोहनीके एक प्रकृतीका उदय होय सो दुतिय क्षयोपशम वेदके 5 सम्यक्त है॥२॥४६॥अनंतानुबंधीकी चार मिथ्यात्वकी एक अर मिश्र मिथ्यात्वकी एक ऐसे छह प्रकृतीका क्षय करे अर सम्यक्त मोहनीके एक प्रकृतीका उदय होय सो क्षायक वेदक सम्यक्त है ॥ ३॥ अनंतानुबंधी चार, मिथ्यात्वकी एक अर मिश्रमिथ्यात्वकी एक ऐसे छह प्रकृतीका उपशम अर सम्यक्त मोहनीके एक प्रकृतीका उदय होय सो उपशम वेदक सम्यक्त है ॥ ४ ॥ ४७ ॥ उपशम क्षायककी दशा, पूव षट् पद मांहि । कहि अवपुन रुक्तिके, कारण वरणी नांहि ॥४८॥ al अर्थ-उपशम सम्यक्तका अर क्षायक सम्यक्तका स्वरूप ४२ वे छपैयामें कह्या है ॥४८॥ क्षयोपशम वेदक क्षे, उपशमसमकित चार।तीन चार इक इक मिलत, सव नव भेद विचार।।४९॥ अब निश्चै व्यवहार सामान्य अर विशेष विधि । कहूं चार परकार, रचना समकित भूमिकी॥५०॥ sil अर्थ-क्षयोपशम सम्यक्त, वेदक सम्यक्त, क्षायक सम्यक्त, अर उपशम सम्यक्त, ऐसे मूल सम्यक्तके चार भेद है। अर क्षयोपशम सम्यक्तके तीन भेद, वेदक सम्यक्तके चार भेद, क्षायक सम्यक्तका एक भेद, अर उपशम सम्यक्तका एक भेद, ऐसे सब मिलिके सम्यक्तके उत्तर भेद नव है ॥ ४९ ॥ -
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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