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.... ॥ अब पंडित बनारसीदासकृत प्रस्तावना ॥ चौपाई॥-.. - जिन प्रतिमा जन दोष निकंदे । सीस नमाइ बनारसि वेदे ॥ . फिरि मन मांहि विचारी ऐसा । नाटक ग्रंथ परम पद जैसी ॥१॥
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॥ अथ चतुर्दश गुणस्थानाधिकार प्रारंभ ॥
, इस अध्यायमें श्रावकके आचारकाभी वर्णन है. . । परम तत्व परिचै इस मांही । गुण स्थानककी रचना नाही॥ यामें गुण स्थानक रस आवे । तो गरंथ अति शोभा पावे ॥२॥ : .