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________________ समय॥११३॥ सार. अ०११ ARRESTERRORRENTNER ॥ अव एकांत वादीका अर स्याद्वादीका लक्षण कहे है चौपाई ॥ दोहा ॥ अमृतचंद्र बोले मृदुवाणी । स्यादवादकी सुनो कहानी ॥ - कोऊ कहे जीव जग मांही । कोऊ कहे जीव है नांही ॥ ५॥ ___एकरूपं कोऊ कहें, कोऊ अगणित अंग। क्षणभंगुर कोऊ कहे, कोऊ कहे अभंग ॥६॥ नय अनंत इहविधि है, मिले न काहूं कोइ ।जो सबनय साधन करे, स्यादाद है सोइ ॥७॥ __ अर्थ अमृतचंद्र मुनिराज कोमल वचनसे बोले, मैं स्याद्वादका कथन 'कहूंहूं सो सुनो । कोई । 5 अस्तिवादी कहे जगतमें जीव है अर कोई नास्तिवादी कहे जीव जगतमें नही है ॥ ५॥ कोई 15 अद्वैतवादी कहे जीव एक ब्रह्मरूप है अर कोई नैयायिकवादी कहे जीवके अगणित स्वरूप हैं। कोई% बौद्धमती कहे जीव क्षणभंगुरं विनाशिक है अर सांख्यमती कहे जीव सर्वथा शाश्वत है ॥ ६॥ अर्थ समजवेके मार्गकू नय कहते है ते समजवेके मार्ग अनंत हैं ताते नयहूं अनंत हैं, तिस नयमें कोई है नय काहूं नयसे मिले नही (विरोधी) है अर जे सब नय● साधन करे ( सब नयकू साचा साधिके । दिखावे ) सो स्याद्वाद है ॥ ७ ॥ ॥ अव जैनका मूल स्याद्वादमत है सो कहे है ॥ दोहा ॥स्यादाद अधिकार अब, कहूं जैनका मूल । जाके जाने जगत जन, लहे जगत जलकूला अर्थ-अब स्याहाद अधिकार कहूंहूं सो जिनशास्त्रका मूल है। स्याहादका स्वरूप जाननेसे जगतके जन है सो संसार जलधिते पार होय है ॥ ८॥ 98498RECk0-9-29-k%A5-%A5 %e0% ॥११३॥ ARE%)
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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