SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६. आगंतारे प्रारामागारे, गामे णगरेवि एग्या वासी | सुसाणे सुण्णगारे वा, रुवखमूले वि एगया वासो || २७. एएहि मुणी सयणेहि, समणे श्रासी पत्तेरस वासे । राई दिवं पि जयमाणे, अप्पमत्ते समाहिए भाइ || २८. जिद्द पि णो पगामाए, सेवइ भगवं उट्ठाए । जग्गावई य अप्पाणं, ईसि साई या सी श्रपडिण्णे || २६. संवुज्झमाणे पुणरवि, प्रासिसु भगवं उट्ठाए । freaम्म एगया राम्रो, वह चंकमिया मुकुत्तागं ॥ ३०. सयणेहिं तस्सुवसम्गा, संसप्पगाय जे पाणा, ३१. अदु कुचरा उवचरंति, गामरवखा य दु गामिया उवसग्गा, इत्थी एगइया भीमा श्रसी श्रगख्वा य । अदुवा जे पविखणो उवचरति ॥ ३२-३३. इहलोइयाई परलोइयाई, भोनाइ विसुभि-दुभि-गंधाई, सद्दाइ अहियास सया सदिए, श्ररई रई श्रभिभूय, फासाइ रीयइ माहणे ३४. स जणेहिं तत्य पुच्छिसु, अव्वाहिए कसाइत्था, ३५. यमंतरंसि को एत्थ अयमुत्तमे से धम्मे, २२० सत्तिहत्था य । पुरिसा य ॥ रुवाई | अगरूत्रा || विरूवरुवाई | अबहुवाई || एगचरा वि एगया राम्रो । पेहमाणे समाहि अपडणे ॥ श्रहमंसि त्ति भिक्खू श्राह 1 तुसिणीए स कसाइए भाइ ॥ ; . श्रायार-सुतं
SR No.010580
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages238
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy