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________________ फफफफफफफफफफ प्र प्रतिवर्ष लगभग 200 पौण्ड से अधिक मांसाहार का प्रयोग किया जाता है। मांस की इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु प्रतिवर्ष चार मिलियन गाय, बछड़े, बकरी, सुअर, मुर्गी, बतख और टर्की मौत के घाट उतारे जाते हैं। औसतन सत्तर वर्ष की आयु में औसतन एक अमेरिकी या केनेडियन के खाने के लिये लगभग ग्यारह गाय, एक बछड़ा, तीन मेमने और बकरी, तेईस सुअर, पैंतालिस टर्की, ग्यारह सौ मुर्गियां और लगभग आठ सौ बासठ पौण्ड मछलियां मारी जाती हैं। इनको मारने से पहले इन मूक प्राणियों को जो यातनाएं दी जातीं हैं उनका अनुमान लगाना ही कठिन है। उसके साथ-साथ इन पशुओं को बलि के लिये तैयार करने के लिए इतना अधिक अनाज, चारा, सब्जी आदि खिलाना पड़ता है जिससे पूरे विश्व में लाखों भूखे लोगों की उदर पूर्ति हो सकती है। कई देशों में लोग इसी कारण शाकाहारी बनते जा रहे हैं। मांस भक्षण करने वालों को पशुवध शाला में यदि मूक प्राणियों की नृशंस हत्या का दारुण दृश्य एक बार दिखा दिया जाए तो अधिकांश व्यक्ति मांस खाना बंद कर देंगे। पिछले 50 वर्षों में स्वास्थ्य अधिकारी तथा चिकित्सकों ने बहुत से उदाहरणों से यह स्पष्ट कर दिया है कि कैंसर, हार्ट-अटैक, हाईपर टेन्सन जैसे रोगों का कारण मांसाहार है। शाकाहार में भोजन के सभी तत्त्व प्रोटीन, कार्बोज, वसा, खनिज, विटामिन और जल होते हैं। अतः यह पर्याप्त / आदर्श भोजन है। यह तर्क निराधार एवं भ्रान्तिपूर्ण है कि मांसाहार से शारीरिक क्षमता और बल बढ़ता है। शाकाहार केवल स्वास्थ्य ही प्रदान नहीं करता अपितु प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में सहयोगी है। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि भूमि की उर्वरा शक्ति पेड़ों और जानवरों पर निर्भर करती है। प्रायः "जीवोजीवस्य भोजनम्" उक्ति के आधार पर मांसभक्षण का समर्थन किया जाता है। इस उक्ति का सहारा लेते ही विवेकशील और विकसित कहलाने वाला यह प्राणी अपने स्तर से गिर कर पशु जगत में प्रवेश कर जाता है। जहां न होता है विवेक, न बुद्धि केवल होती है स्वार्थपरता, अहं प्रदर्शन और शक्ति परीक्षण। मानवीय संस्कार अमानवीय हो जाते हैं। संवेदनाएं शुष्क हो जातीं हैं। एक महत्त्वपूर्ण बात यह है, कि जब कोई व्यक्ति अपने भोजन के प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ 544
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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