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________________ 45454545454545454545454545454545 1 किन्तु वरांगचरित' जटिल मुनि (जयसिंहनन्दि मुनि) की रचना प्रसिद्ध है, जिसे प्रेमी जी ने स्वयं स्वीकार किया है।" सम्भव है कोई अन्य वरांगचरित आज भी काल के गर्त में पड़ा किसी अन्वेषक की बाट जोह रहा हो. जो आचार्य रविषेण की रचना हो। इस काव्य के 'पद्मचरित' और 'पद्मपुराण' ये दो नाम प्रचलित हैं पर वस्तुतः इसका नाम पद्मचरित ही है, जैसा कि स्वयं रविषेण ने कहा "पद्मस्य चरितं वक्ष्ये पदमालिगितवक्षसः" "चरितं पद्ममुनेरिदं निबद्धमे"" चूंकि इसमें पुराण और काव्य इन दोनों के लक्षण उपलब्ध होते हैं साथ ही प्रथमानुयोग की अधिकांश कथायें पुराणों में आई हैं. अतः इसे पदमपुराण कहा जाने लगा। बाद में सं. 1818 में पं. दौलतराम जी ने 'पद्मपुराण' नाम से इसका हिन्दी भाषानुवाद किया, तब से ही यह ग्रन्थ 'पद्मपुराण' नाम से ही अधिक प्रसिद्ध हो गया है। वर्तमान में इसका 'पद्मपुराण' नाम ही अधिक प्रचलित है। सात पुष्पिकाओं में 44वें पर्व तक 'पदमचरित' तथा 45वें सर्ग से 'पदमपुराण' नाम मिलता है। वैष्णवों में जो स्थान रामचरित मानस का है वही स्थान जैनों में 'पद्मपुराण' का है, इसी कारण इसे 'जैनरामायण' भी कहा गया है। नामानुसार इस ग्रन्थ में पद्म = राम का चरित्र जैन परम्परानुसार वर्णित है। इसके आधार की चर्चा करते हुए ग्रन्थारम्भ में कहा गया है "वर्धमानजिनेन्द्रोक्तः सोऽयमों गणेश्वरम्। इन्द्रभूतिं परिप्राप्तः सुधर्म धारिणीनवम्।। प्रभवं क्रमतः कीर्ति ततोऽनुतरवाग्मिनम्। लिखितं तस्य संप्राप्य रयत्नोऽयमुवगतः।" अर्थात् वर्धमान जिनेन्द्र के द्वारा कहा हुआ यह अर्थ इन्द्रभूति नामक LE - गौतम गणधर को प्राप्त हुआ, फिर धारिणी के पुत्र सुधर्माचार्य को प्राप्त हुआ, TE 2ी फिर प्रभव को प्राप्त हुआ, फिर अनुत्तरवाग्मी अर्थात् श्रेष्ठ वक्ता कीर्तिधर आचार्य । को प्राप्त हआ। तदनन्तर उनका लिखा प्राप्त कर यह रविषेणाचार्य का प्रयत्न प्रकट हुआ है। इसी प्रकार का उल्लेख ग्रन्थ के अन्त में भी पाया जाता है | प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 442 - 15454545454545454545454545454975
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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