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________________ 47414545454545454545454545454545 । 51 तात्पर्य :-जो सिद्धदशा को या स्वात्मोपलब्धि को प्राप्त हो गया है, नय एवं LE से सिद्ध है, घाति चतुष्टय के अभाव होने से शुद्ध मिथ्यात्व, राग, द्वेष आदि भावकों के नाश से अकलंक हो गया है, जिसके सदा ही सम्यक्त्व, ज्ञान - आदि गुणरूपी रत्नाभूषणों की कान्ति रहती है, इस प्रकार के श्रीजिनेन्द्रवर नेमिचन्द्र तीर्थंकर को प्रणाम करके उस जीवप्ररूपण नामक ग्रन्थ का प्रणयन -करता हूं, जो उपदेश द्वारा पूर्वाचार्य परम्परा से सिद्ध है, पूर्वापर का विरोध आदि दोषों से रहित शुद्ध है, दूसरे की निन्दा आदि से रहित है, राग, द्वेष आदि से रहित निष्कलंक है, जिससे सम्यक्त्व, ज्ञान आदि गुणरूपी रत्नाभूषणों की प्राप्ति होती है, जो विकथा आदि की तरह, राग-द्वेष का कारण नहीं है। पूर्व में श्री नेमितीर्थंकर के पश्चात् ग्रन्थ के विशेषण हैं। इस मंगलाचरण के नव प्रकार के अर्थ धोतित होते हैं : (1) 24 तीर्थंकर, (2) भगवान महावीर, (3) सिद्धपरमेष्ठी, (4) आत्मा, (5) सिद्धचक्र, (6) पंचपरमेष्ठी, (7) नेमिनाथतीर्थकर, (8) जीवकाण्डग्रन्थ, (७) नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती। इन नव अर्थों को संस्कृत टीका (जीवकाण्ड) से जानना चाहिये। इसी प्रकार कर्मकाण्ड का मंगलाचरण भी अलंकारों से विभूषित है। उसमें भी दो अर्थ व्यक्त होते हैं (1) नेमिनाथ तीर्थंकर को नमस्कार किया ा गया है। (2) महावीर तीर्थंकर को प्रणाम किया गया है। इस ग्रन्थ में 9 अधिकारों के द्वारा कर्म सिद्धान्त का वर्णन किया गया है-(1) प्रकृति समुत्कीर्तन. (2) बन्धोदयसत्त्व, (3) सत्त्वस्थानभंग, (4) त्रिचूलिका, (5) स्थानसमुत्कीर्तन, (6) प्रत्यय (7) भावचूलिका, (6) त्रिकरणचूलिका, (७) कर्मस्थितिबन्ध ।। त्रिलोकसार करणानुयोग के इस प्रसिद्ध महान् ग्रन्थों में कुछ 1018 गाथाएं हैं। इसका आधार निमित्त तिलोयपण्णत्ति एवं तत्त्वार्थवार्तिक है। इसमें 6 अधिकारों द्वारा तीन लोक का वर्णन विस्तार से किया गया है-(1) लोकसामान्याधिकार, (2) भवनाधिकार, (3) व्यन्तरलोकाधिकार, (4) ज्योतिर्लोकाधिकार, (5) वैमानिक लोकाधिकार, (6) मनुष्यतिर्यक् लोकाधिकार । इसमें गणित का विषय - विस्तृत है। - प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 405 154545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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