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________________ 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 1554646-47-445464748495 महाराज के शिष्य आचार्य सूर्यसागर जी महाराज द्वारा संयमप्रकाश ग्रंथ में कार्य कर रहा था। शांतिसागर जी महाराज ने संयमप्रकाश का कार्य छुड़वाकर ऋषभदेव अपने पास कार्य करने रखा। मैंने सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला नामक पुस्तक का संपादन व संशोधन किया तथा और भी महाराज द्वारा संकलित पुस्तकों का संपादन और कुछ शास्त्र लिखे। मेरे लिये महाराज मेरे पिताजी से कहते थे कि चुन्नीलाल जी आपका लड़का बहुत होशियार है। केशलोंच में तथा सभा में महाराज श्री कई बार मुझसे भाषण भी कराया करते थे। तीर्थ पर आने वाली यात्री और राज्याधिकारी देव स्थान हाकिम आदि महाराज श्री के दर्शन करने आते और महाराज श्री के दिव्य तेज व तपश्चर्या से प्रभावित होते थे । श्री शांतिसेवा संघ की स्थापना यहां पर नरसिंहपुरा दिगम्बर जैन समाज में उन दिनों दो पार्टियाँ पड़ी हुई थीं। महाराज श्री ने उन्हें मिलाने का बहुत प्रयत्न किया था। हमने कुछ नवयुवकों से मिलकर दोनों पार्टियों को मिलाकर एक संस्था स्थापित की। आचार्य शांतिसागर जी महाराज के सांकेतिक नाम को रखते हुए उसका नाम श्री शांति दिगम्बर जैन सेवा संघ रखा था। यह संघ अच्छा चला। समाज ने भी इसकी सेवाओं को सराहा। शांतिसागर महाराज की पूर्णप्रेरणा और आशीर्वाद इसे मिला, इस संघ में दोनों पार्टियों से मेम्बर चुने गये। सभापति श्री सोहनलाल सर्राफ थे। मंत्री मैं चुना गया था। इसका हिसाब-किताब सब व्यवस्था मैं करता था। इस संघ ने पूरे प्रयत्न कर समाज की पार्टी बंदी को समाप्त करने का प्रयत्न किया। इस चातुर्मास में आचार्य श्री के साथ एक वयोवृद्ध वीरसागर जी महाराज थे और संभवतः ऐलक धर्मसागर जी महाराज थे । एक या दो ब्रह्मचारी थे, महाराज श्री का विहार वहां से हो गया। पश्चात् शांतिसागर जी महाराज दक्षिण के प्रधान शिष्य, संस्कृत के धुंरधर विद्वान् मधुर व्याख्याता श्री कुन्धुसागर जी महाराज का ऋषभदेव आगमन हुआ तथा हमने दोनों आचार्यों के नाम से शान्ति सेवा संघ के अन्तर्गत एक वाचनालय व पुस्तकालय स्थापित किया। जिसका नाम श्री शान्ति कुन्थु वाचनालय रखा गया था। एक बिल्डिंग किराये पर लेकर उसमें हम लाइब्रेरी चला रहे हैं। 243 55555555555555555 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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