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________________ 45454545454545454545454545454545 4 एवं नगरों को लाभान्वित किया है, वहाँ की समाज को एवं विशेषतः उत्तरप्रदेश के बाद सन् 1991 में श्री सम्मेदशिखरजी तथा गया (बिहार) एवं इसके आस-पास के युवकों को अपनी ओर विशेष आकृष्ट कर लिया है। आपको श्रावकगण कभी-कभी "लघु-विद्यासागरजी" के नाम से संबोधित करते हैं। आपकी साधना चिन्तन एवं मनन को देखकर सभी चकित हो जाते हैं। सर्दी-गर्मी वर्षा सभी ऋतुयें आपके लिये समान हैं। प्रशान्तमूर्ति आचार्य शान्तिसागरजी छाणी महाराज के जीवन से आप विशेष प्रभावित हैं। ज्ञानाराधना की ओर आप विशेष प्रयत्नशील रहते हैं। विद्वानों को आपका सदैव आशीर्वाद रहता हैं। इस प्रकार आचार्य शान्तिसागरजी छाणी महाराज की शिष्य-प्रशिष्य - साधु परम्परा वर्तमान में भी अत्यधिक प्रभावक बनी हुई है और अपने सदुपदेशों LP से सबको लाभान्वित कर रही है। हम आचार्यश्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व - का जितना स्मरण करेंगे उतना ही अपने भावों को निर्मल बना सकेंगे। 45454545454 आचार्य शान्तिसागरजी की साहित्यिक सेवा आचार्यश्री छाणी महाराज को साहित्य से बड़ा लगाव था। वे स्वयं भी : साहित्यिक क्षेत्र में कार्य करते और अपने शिष्य-प्रशिष्यों को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। अब तक उनके लिखित एवं सम्पादित कृतियों में निम्न कतियों के नाम उल्लेखनीय हैं :1. मूलाराधना 2. श्री शान्तिसागर सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला 3. शान्ति सवैया शतक 4. आगम दर्पण उक्त सभी कृतियाँ आचार्यश्री के अगाध ज्ञान के द्योतक हैं। आचार्यश्री का सैद्धान्तिक ज्ञान उनकी सतत् ज्ञानाराधना का प्रतिफल थां। उसी ज्ञान को उन्होंने अपनी रचनाओं में उड़ेल दिया है। ___आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज के गुणानुवाद में अनेक कवियों एवं : विद्वानों ने पूजा, स्तवन, भजन एवं आरती लिखकर उनके महिमामय जीवन को प्रस्तुत किया है। ऐसे कवियों में विष्णु कवि, पं. महेन्द्रकुमार जी, शशिप्रभा TE जैन शशांक, पं. महेन्द्रकुमार जी "महेश" शास्त्री, हीराचन्द उगर चंद शाह, TE । कडियादरा, फूलचंदजी "मधुर" सागर, ९० धर्मसागरजी के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। 4183 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ - 4549414 LIESTELSEF4545454545755
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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