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________________ कर लिया। छाणी से विहार करके वे बागड़ प्रदेश में घूमते रहे और लोगों को धर्मोपदेश का पान कराते रहे। संवत् 1980 में (सन् 1923) का चातुर्मास 1 सागवाड़ा करने के पूर्व उन्होंने प्रायः तीन वर्ष बागड़ प्रदेश में ही व्यतीत किये और तत्कालीन समाज को बहत लाभान्वित किया। गोरेला और ईडर उनके मुख्य कार्यक्षेत्र रहे। इस समय उनकी आय 34-35 वर्ष की होगी। वे बड़ी मीठी भाषा में अपना प्रवचन करते और जन सामान्य पर गहरा प्रभाव छोड़ जाते। सागवाड़ा तो उनका जाना पहिचाना गाँव था। वे पहले ब्रह्मचारी के रूप में वहाँ गये थे और अब क्षुल्लक के रूप में। दोनों में दिन रात का अंतर था। क्षुल्लक जी महाराज ने महिलाओं की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया। उनको धार्मिक शिक्षा देते और साथ ही कभी-कभी संसार के दुःख-सुख की भी चर्चा करते। उनके प्रवचन का पुरुष समाज एवं महिला समाज दोनों पर गहरा असर हुआ और उसी वर्ष वहाँ सागवाड़ा में शान्तिसागर दिगम्बर जैन श्राविकाश्रम की स्थापना की गई। इस श्राविकाश्रम में महिलाओं को शिक्षित करने का अभूतपूर्व कार्य किया। आश्रम में सधवा और विधवा सभी बहिनें आती और धार्मिक शिक्षा लेकर अपने जीवन को सफल बनाती। यद्यपि वर्तमान में यह श्राविकाश्रम निष्क्रिय हो चला है लेकिन इसने अतीत में समाज को बहुत लाभ दिया। सैकड़ों महिलाओं को धार्मिक संस्कार दिये हैं। उनको गृह त्याग किये हुए चार वर्ष हो गये। इन चार वर्षों में उन्होंने अपने शरीर को सब तरह से परीषह, उपसर्ग और अन्तराय आदि सहने योग्य बना लिया। उनकी पूर्ण निर्ग्रन्थ साधु मुद्रा धारण करने की तीव्र भावना बढ़ने लगी। सागवाड़ा चातुर्मास में भाद्रपद मास का आगमन हुआ। पर्युषण पर्व आया। पूजापाठ होने लगे। क्षुल्लक जी का नियमित प्रवचन होता था। धर्म की नदी बह रही थी। इसमें जिसने जितना धर्म बाँध लिया। क्षुल्लक जी के मन में मुनि बनने का विकल्प आने लगा। अनन्त चतुर्दशी की धर्म सभा में जब सारा समाज एकत्रित था, धर्म की चर्चा हो रही थी, तभी अचानक क्षुल्लक जी उठ खड़े हुए और मुनि दीक्षा लेने का अपना दृढ़ निश्चय सुना दिया। उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया था। प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ __1614 959555555555959
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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