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159455456457454545454545454545454545 卐 की रक्षा के लिये वे दीक्षा-काल से लेकर समाधि-काल तक निरन्तर ,
सावधान रहे। इस युग में दिगम्बरी दीक्षा लेकर उत्तर भारत में विचरण करने वाले वे प्रथम आचार्य थे। उन्होंने अपनी निष्ठावती साधना से दिगम्बर मुनि-परम्परा की पुनर्स्थापना में ऐसा महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे भुलाया नहीं जा सकता। उनकी पावन स्मृति में सविनय नमोस्तु।
सतना
नीरज जैन
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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