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व्यतीत्य वर्षपञ्चक
सुसूरिपदविभूषितम्। अग्रन्थपदप्रचारक _ नमामि शान्तिसागरम् ।।2।। सदैव ब्रह्मव्रतधरं
स्वनामधन्यकेवलम् छाणीयसंघनायकं
नमामि शान्तिसागरम् ।।3।। सुभागचन्दसुतवरं
माणिक्यमात्रपुत्रकम्। बागड़प्रदेशगौरवं
नमामि शान्तिसागरम्।।4।। सूर्यस्य पूज्यगुरूवरं
ज्ञानादिशिष्यधारकम् मुमुक्षु-निस्पृहं गणी नमामि शान्तिसागरम्।।5।।
पं. शिवचरण लाल जैन
मैनपरी
मंगल गान
धर कवच समय उग्र ध्यान कठोर असि निज हाथ ले। व्रत समिति सुगुप्ति भावन वीरभट भी साथ ले पर चक्र रागद्वेष हनि स्वतंत्र निधि पाते हए। वे स्वपर तारक गुरू तपोनिधि मुक्ति पथ जाते हुए। मंगलमयी गाथा सुभानुसार मक्ति मार्गदर्शी
प्रशममूर्ति शान्ति सुधारस पाथेय पंथी।।
माया मोह, विकल्प जाल बन्धन विमुक्त योगी। चतुर्विधाराधना आराधक परम अध्यात्म योगी आचार्यश्री शांतिसागर जी महामुनि (छाणी) के चरणारविन्दों में श्रद्धावनत सुमन श्रद्धांजलि।
मड़ावरा
पं. लक्ष्मणप्रसाद जैन
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
199945