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________________ 1414514614517459457454545454545454545 शुभकामना ____ युगप्रमुख, दिगम्बर जैनाचार्य, उपसर्ग-विजेता, स्याद्वाद/अनेकान्त प्रणेता आचार्य पुंगव स्व. श्री शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) की स्मृति में प्रकाशित यह "स्मृति ग्रन्थ" एक अद्वितीय ग्रन्थ होगा जो सर्वजनों को प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा। -पूज्य आचार्य श्री ने इस शताब्दी में प्रथम मुनि दीक्षा धारण कर, विलुप्त मुनि परम्परा को पुनः जीवनदान देने का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया है। यद्यपि आचार्य श्री आज हमारे बीच नहीं हैं, तथापि उनकी वैदुष्य पूर्ण लेखनी से उनकी अद्वितीय प्रतिभा के साक्षात् दर्शन होते हैं। - परम पूज्य आचार्य श्री के चरण कमलों में, मैं शतशः सादर विनयाञ्जलि/श्रद्धाञ्जलि/प्रणामाञ्जलि समर्पित करते हुए, सम्पादक मण्डल के 4 इस अविश्रांत परिश्रम एवं सराहनीय कार्य के लिए साधवाद व्यक्त करता है। यह स्मृति ग्रन्थ सदैव सर्वजन हिताय, प्रज्ञा-चक्षु एवं दीर्घ दीपशिखावत् TE कार्य करेगा, यही हमारी शुभ मंगल कामनाए हैं। 51 रुड़की (उ.प्र. नरेन्द्र कुमार शास्त्री करुणासागर - परम पूज्य आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज ने इस शताब्दी के L: प्रारम्भ में लुप्त होती हुई साधु-परम्परा को पुनरुज्जीवित किया है, साथ ही टूटते हुए नैकित सिद्धान्तों, गुम होते हुए आदर्शों, विलुप्त होती धार्मिक, सामाजिक मर्यादाओं तथा मरणासन्न जीवन मूल्यों में पुनः प्राण प्रतिष्ठा कर नवचेतना का संचार किया है तथा मानव समाज को दीक्षा देकर सही दिशा दी है। संयमित, मर्यादित जीवन शैली देकर भूलों-भटकों को प्रशस्त पथ दर्शाया है और शिष्ट जीवन जीने की प्रेरणा दी है। इस तरह धार्मिक. 84 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ : 1545454545454545454545454545454545
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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