________________
++++++++
53
वृहत्
जैनवाणीसंग्रह
प्रथम अध्याय । प्रातःकालीन क्रिया
ब्राह्मे मुहूर्त उत्थाय कृतपंचनमस्कृतिः । कोऽहं को मम धर्मः किं व्रतं चेति परामृशेत् ॥ प्रत्येक श्रावकको ब्राह्ममुहूर्त अर्थात् रात्रि समाप्त होनेसे दो घड़ी प्रथम उठकर पंचनमस्कार मंत्रका पाठ करके मैं कौन हूं ? क्या मेरा धर्म है ! मेरा व्रत क्या है ? यह विचार करना चाहिये । १- णमोकार मंत्र
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायणं, णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ ओं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्योनमः ।
२ - णमोकार मंत्र का माहात्म्य । अपवित्रः पवित्रो वा सुस्थितो दुःस्थितोऽपि वा । ध्याये