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निवेदन
ध्यान रखिये पैरों तले व अपवित्र स्थानों में डालकर, थूक लगाकर और अज्ञान बालकों के हाथों में देकर पुस्तकों की आशातना नहीं करिये।
इस पुस्तक का पुनः पुनः स्वाध्याय करिये,
स्तवनों को गाइये __ व उनके अर्थ पर मनन करिये ।
इसे दूसरों को पढ़ने के लिये दीजिये, पढ़कर उन्हें सुनाइये । इससे आपको आध्यात्म-ज्ञान व भक्ति प्रसारित करने का महान् लाभ होगा।
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बीकानेर एजूकेशनल प्रेस में मुद्रित