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ध्यान चतुष्क विचार गर्भित शीतल जिन स्तवन
अथ ध्यान च्यार स्तवन ।
दूहा
प्रणमी शीतलनाथ पय, सुख संपति दातार ।
विघन विडारण भय हरण, धरि मनि भाव अपार ॥ १ ॥
1
श्री सदगुरु ना पय नमी, मन सूं करीय विचार | ध्यान भेद सखेप सृ, कहिसुं मति अनुसार ॥ २ ॥
ढाल -- रामचंद्र कइ बाग, एहनी ।
च्यार ध्यान विसतार, सुणिन्यो भाव धरी री । कहिस्य श्रुत अनुसार, प्रहि मनि टेक खरी री ॥ १ ॥
रौद्र वलि धर्म, चउथउ शुकल कहिस्य मति इक चित्त, जिम गुरु पास संका शोक प्रमाद, कलह चित भ्रम उन्माद विशेष, धन संग्रह काम भोग नी चीत, जे जन मन श्रार्त्त ध्यान तिण माहि, लद्दीयइ इम श्रत साखइ ॥ ४ ॥
मह राखइ 1
प्रथम ध्यान ना पाय, व्यार
कह्या श्रुत संगइ |
अनिष्ट - संयोग, बीजउ इष्ट - वियोग || ५ ॥ रोग-निमित्त, मन महं चिंत धरइ री चउथ सुख नइ काजि, जीव नियाण करइ री ॥ ६ ॥
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प्रथम
तीज
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थुण्यउ रो । सुण्यउ री ॥ २ ॥ भयकारी ।
अधिकारी ॥ ३ ॥