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१७ अथ श्री कुन्थुनाथजिन पूजा लिख्यते,
चौबी० पूजन
बखतावर सिंह कृत। छन्द । सिंग्रह ५३७
स्थापना-गजपुर नगर मझार भान प्रभु भूपजी, कुंथुनाथ जिन पुत्र भये सुख रूपजी।
..... लक्षण अजा अनूप मात लक्ष्मीमती, तुंग धनुष तीस तिष्ठ करुणापती ॥१॥ . . ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्र अत्रावतराऽवतर संवौषट् आह्वाननम् । ....ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। . . ॐ हीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधी करणम् ॥ .
अथ अष्टक। त्रिभंगी छंद। | जल-पद्मदनीरं गंधगहीरं अमल सहीरं भर लायो, कंचन मय झारी भर सुखकारी पूज तिहारी
कर धायो।श्री कुंथुदयालं जगरिछपालं हन भव जालं गुण मालं। तेरम मकेश्वर षट्चक्रेश्वर विधन हनेश्वर दुख टालं ॥ ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण
पंचकल्याण प्राप्ताय जन्म मृत्यु ज रारोग विनाशनाय जलंनिर्वपामीति स्वाहा॥ | चंदन-घस चंदन बाक्न दाह मिटावन निरमल पावन सुखकारी, तुम चरण चढाऊंदाह नसाऊं
शवपुर पाऊ हित धौरी1- श्री कुंथु दयालं जग रिछपालं हन भव जालं गुण मालं, तेरम