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चौबी०- पूजन
संग्रह (५२४
हम पूजत भक्ति बढायक हैं ॥ ॐ ह्रीं श्री अनंतनाथ जिनेंद्राय चैत्र कृष्ण अमावस्या ज्ञान
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ निवाण-ससमेदथकी जिनमोक्ष गये,त्रयलोक शिरोमणि सिद्ध भये। गिन चैत अमावस्याके जो दिना,
हम ध्यावत शीस नवाय घना ॥ ॐ ह्रीं श्री अनंतनाथ जिनेंद्राय चैत कृष्ण अमावस्या मोक्ष कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥
अथ जयमाला ।दोहा। महाअर्घ-व्योम अंगुलन नहिं नपे,उडुगण गिनेन जाय । त्यों तुम सुगुण अनंतहे,हम से किम बरनाय ॥
पै तुम भक्ति सो हिये मम, प्रेरत में बहु आय । तातें सुगुण सुमालिका, पहरूं कंठ बनाय ॥ .. __छंद त्रोटक-जयअनंत जिनेश्वर चर्न नम, भव बारिधि तारन तनं नम। जब गर्भ विषे थित आयधरी, धनदेव रची आयुध्या नगरी॥ ३॥ अलि जेठ दुवादशि आय जये, भवजीवन के दुःख दूर गये। सब आयुष लाख जु तीस कही, कुमरापन साढे सात गई ॥ ४॥ पंदरै लख बर्ष सुराज किये, कछु कारण पाय सुत्याग दिये। तब ही बन जाय के योग धरो, निज आतम सार विचार करो, ॥ ५॥ चव घात तनी सब सैन दली,लहि केवल ज्ञान प्रकाश वली । दिव ध्वन्नि खिरे