________________
चौबी० पूजन
मात जयसेन नंदा। जजहूं चर्न तेरे काटिये कर्म फंदा ।। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,
जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल-फल मधुर रसीले सेव दाडिम सुलाये। लख ललित अनुपा सर्व इंद्री लुभाये॥ तुम विमल जिनंदा
मात जयसेन नंदा । जजहूं चर्न तेरे काटिये कर्म फंदा। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,
जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्ष फल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। अर्घ-जल फल बसु लेके द्रव्य सारे समारे। कर रतन रकावी पूज हूं अर्घ धारे ॥ तुम विमल जिनंदा
मात जयसेन नंदा। जजहं चर्न तेरे काटिये कर्म फंदा ॥ ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
.. अथ पंचकल्याणक । चौपाई। गर्भ-शुक्र सुरग तज आये एव । माता सेन्या गर्भ सुदेव । जेठ कृष्ण दशमी सुखकारि। सेव करें
नित छपन कुमार ॥ अह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्रीय ज्येष्ठ कृष्ण दशमी गर्भ कल्याण प्राप्ताय , अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।। जन्म-माघ श्वेत तिथि तुरी बखान । जन्मे तीन ज्ञान युत आन ॥ कंपिल्ला नगरी शुभ सार। भए
सु घर घर मंगल चार ॥ ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथ जिनेन्द्राय माघ शुक्ल चतुर्थी जन्म कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।।