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________________ चौबी० पूजन संग्रह ५१० सवास पूज्य देव के पदारविंद लाल हैं। नमें सरेद्र चंद्र आय नाय के सुभाल हैं । ___ों ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्तायमोहांध कार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा । धूप-करूं जु अब तन चूर चंदनादि जानिये। दिये अपार कर्म दुःख खेयते सुहानिये ॥ . सुवासु पूज्य देव के पदारबिंद लाल हैं । नमें सुरेन्द्र चंद्र आय नाय के सुभाल हैं। • ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल-अनार अंब सेव पक्क चिर्भटादि लीजिये । चढाय हुं सरोज चर्न मोक्ष सोरु य दीजिये। सुवासु पूज्य देव के पदार बिंद लाल हैं। नमें सुरेंद्र चन्द्र आय नाय के सुभाल हैं : डों ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्ष फल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।। अर्घ-जल फलादि द्रव्यसार अष्टजो मिलाय के। लाय हूं जिनेश अग्र अब को बनाय के ॥ सुवासु पूज्य देव के पदार बिंद लाल हैं । नमें सुरेंद्र चंद्र आय नाय के सुभाल हैं ॥ • ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ . पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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