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________________ संग्रह: चौबी० क्षधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। . पूजन , दीप-घृत सनेह करपूर बातिका रतन दीप उजियारे।जोय धरे तुम सन्मुख हे जिन मोह अंधानरवारे॥ शीतल जिन के युग चरणाम्बुज पूजं मनवच काई । रोग शोक दुःख दारिद नाशें भव आताप मिटाई ॥ ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। .. धूप-कृष्णागर गोसीर सुचंदन ताकी धूप बनाई। स्वर्ण धूपायन में धर खेऊ चहुं दिशि गंधसु छाई॥ _शीतल जिनके युग चरणाम्बुज पूजू मन वचकाई। रोग शोक दुःख दारिद नाशै भव आताप मिटाई ॥ ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्टकर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा । फल-श्रीफल आम अनार सुकेला एला चिरभट लावें। स्वर्ण थाल में धर अति प्राशुक देखत मन ललचावें ॥ शीतल जिन के युग चरणाम्बुज पुजं मन वचकाई। रोग शोक दुःख दारिद नाशैं भव आताप मिटाई। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म,तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्ष फल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।। अर्घ-वारि सुचंदन अक्षत वारिज नेवज विविध प्रकारा। दीप धूप फल वस विधि लेके अर्घ बनाय
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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