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चौवी.
संग्रह
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ढिग लावे चरु चीन्हा । महासेन दुलारे चंद पियारे तन उजियारे जोत धरे। नख दति पे थारे कमल सुहारे चन्द बिचारे चरण परे। ॐ ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान
निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय संसाराताप रोग विनाशनाय चन्दनं निर्वामीति स्वाहा। अक्षत-अक्षत अनियारे निशपति हारे धोय समारे थाल भरूं। अक्षय पद दीजे ढील न कीजे निज
लख लीजे पुंज करूं। महासेन दुलारे चंद पियारे तन उजियारेजोत धरे । नख दुतिपै थारे कमल सहारे चंद विचारे चरण परे ॐ ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण
__ पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। पुष्प-बहु कुसुम नवीने में चुन लीने सौरभ भीने ल्याय घरे । तिस गंध सुहाई मधुकर छाई भेट
कराईदर्प हरे। महासेन दुलारे चंद पियारे तन उजियारे जोत धरे,नख दुति पै थारे कमल सुहारे चंद विचारे चरण परे ॥ ॐ ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंच
कल्याण प्राप्ताय काम वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ॥ नैवेद्य-पकवान सुलीने सितरस भीने तुरत करीने मिष्ट महा। "
विडारी शर्मलहा। महासेन दुलारे चं .. सुहारे चंद विचा